
हल्द्वानी। ट्रेड यूनियन ऐक्टू से सम्बद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन नौ जुलाई को ट्रेड यूनियनों द्वारा आहूत अखिल भारतीय आम हड़ताल में शामिल होंगी। अपनी मांगों को लेकर बुधपार्क हल्द्वानी में प्रदर्शन करेंगी।
चार श्रम कोड वापस लेने, आशाओं को न्यूनतम वेतन 35000 हजार करने, आशा वर्कर्स कोे राज्य कर्मचारी का दर्जा व न्यनूतम वेतन देने, रिटायरमेंट के समय पेंशन, अस्पताल में सम्मानजनक व्यवहार, ट्रेनिंग स्वास्थ्य विभाग स्वयं कराए और एनजीओ का हस्तक्षेप बंद हो, ट्रेनिंग का प्रतिदिन न्यूनतम 500 रूपये भुगतान किया जाय, सभी बकाया राशि का भुगतान, हर माह का पैसा हर माह खाते में डाला जाय सहित कई मांगों को लेकर ट्रेड यूनियन ऐक्टू के नेतृत्व में आशा वर्कर्स बुधपार्क में प्रदर्शन करेंगी। यह जानकारी ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की हल्द्वानी ब्लॉक अध्यक्ष रिंकी जोशी ने दी। उन्होंने बताया कि हड़ताल के माध्यम से राज्य के मुख्यमंत्री की खटीमा में आशा यूनियन से डीजी हेल्थ के प्रस्ताव को लागू करने के वादे को अमली जामा पहनाने की मांग भी की जायेगी।
उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन (ऐक्टू) हल्द्वानी ब्लॉक अध्यक्ष रिंकी जोशी ने कहा कि, केन्द्र और राज्य सरकार आशा वर्कर्स को न्यूनतम वेतन और कर्मचारी का दर्जा नहीं देकर उनका आर्थिक शोषण कर रही है। जिस सरकार का काम अपने कर्मचारियों की शोषण से रक्षा का होना चाहिए वही उनका शोषण करे इससे अफसोसजनक बात और क्या होगी? भाजपा सरकार के राज में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का बजट भी लगातार कम किया जा रहा है जिससे आशाओं का शोषण और भी ज्यादा बढ़ गया है।
उन्होंने कहा कि, आशा वर्कर्स की हालत सभी श्रमिकों में सबसे ज्यादा खराब है। उन्हें तो श्रमिक का दर्जा भी नही दिया जाता, बंधुवा मजदूर की तरह काम लिया जाता है। आशा वर्कर्स पर सरकार नए नए काम का बोझ लगातार बढ़ाते जा रही है। शिशु मृत्यु दर कम करने में आशा वर्कर्स का बहुत बड़ा योगदान है। गर्भवती महिलाओं की देख-रेख के लिए आशाओं को आधी रात में भी बिना किसी विभागीय सहायता के दौड़ना पड़ता है। इसके बावजूद आशा वर्कर्स को वेतन देने के नाम पर सिर्फ नाममात्र की प्रोत्साहन राशि और कुछ योजनाओं का कमीशन दिया जाता है। यह कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
ब्लॉक सचिव रीना आर्य ने कहा कि, सरकार आशाओं की मेहनत का शोषण करती है। पैसा समय पर नहीं मिलता और जितना पैसा बनता है उसे भी पूरा नहीं दिया जाता। साथ ही अस्पताल में स्टाफ द्वारा उनको अपमान भी झेलना पड़ता है। जिस कारण आशा वर्कर्स में बहुत आक्रोश है। इसलिए 9 जुलाई की राष्ट्रीय हड़ताल में आशाएं पूरी ताकत से शामिल होंगी।