हल्द्वानी। भाकपा माले केंद्रीय कंट्रोल कमीशन के चेयरमैन राजा बहुगुणा ने कहा कि, गाज़ा पर चल रहे इजराइली हमले का एक साल पूरा हो गया है। विश्व के अधिकांश देशों के विरोध के बावजूद निहत्थी जनता के विरुद्ध एकतरफा युद्ध जारी है जिसमें अमेरिकी साम्राज्यवादी धुरी के देश लगातार हथियार और गोलाबारूद सप्लाई कर रहे हैं, और भारत समेत कई देश इसमें इजराइल के पक्ष में खड़े हैं। आखिर क्यों? आजादी के बाद से भारत ने हमेशा एक स्वतंत्र, प्रगतिशील एवम गुटनिरपेक्ष विदेश नीति जिसमें विश्व शांति, युद्ध विरोध व सभी राष्ट्रों की संप्रभुता की रक्षा व आजादी प्रमुख तत्व हैं, को अपनाया है। आज क्यों मोदी सरकार आततायी, हमलावर युद्ध अपराधी इजराइल के साथ खड़ी है? हमें युद्धोन्माद और निर्दोष लोगों के जनसंहार का साथ हरगिज नहीं देना चाहिए।
ऐक्टू के प्रदेश महामंत्री के के बोरा ने कहा कि, फिलिस्तीन में गाज़ा एक साल से चल रहे हमलों में पूरी तरह तबाह हो चुका है और आज भी वहां हमले, बमबारी एवम इजराइली सेना का दमन चल रहा है। करीब बाईस लाख आबादी वाले गाज़ा में 40,000 नागरिक, ज्यादातर बच्चे और महिलाएं, मारे जा चुके हैं। लेकिन गैरसरकारी सूत्रों के अनुसार वहां कम से कम 125000 मौतें हुई होंगी। वहां के लोग बेघर हो चुके हैं, खाने के लिए कुछ नहीं है, इलाज के लिए दवाइयां नहीं है, यहां तक कि पीने का पानी तक नहीं मिल पा रहा। कई देश और अंतर्राष्ट्रीय संगठन वहां राहत सामग्री भेज रहे हैं, इजराइल की सेना उसे पीड़ित फिलिस्तीनी नागरिकों तक नहीं जाने दे रही। दुनिया को इस मानवीय सहायता को पहुंचाने में मदद करनी चाहिए।
अंबेडकर मिशन के अध्यक्ष जी आर टम्टा ने कहा कि, इजराइल में नेतन्याहू की फासिस्ट सरकार फिलिस्तीन में इंसानियत की हत्या कर, जमीनों पर कब्जा कर इजराइली नागरिकों को बसाने का काम कर रही है। हमारे देश को मानवता के प्रति हो रहे इस गंभीर अपराध में इजराइल का साथ हरगिज नहीं देना चाहिए।
माले जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, इस साम्राज्यवादी युद्ध को और फैलाने की मंशा से इजराइल ने लेबनान पर हमला बोल दिया है। ईरान को भी इसमें लाना चाहता है। पिछले दिनों लेबनान में पेजर , फोन और रेडियो आदि में बम विस्फोट की खबरों के माध्यम से इस युद्ध के घिनौनेपन की एक तस्वीर भी सामने आई है। आम जनता के सामान्य उपकरणों को भी साजिश से घातक हथियारों में बदल दिया गया है। लेबनान में सैकड़ों आम नागरिक मार दिए गए। हजारों घायल हुए। इससे स्पष्ट है कि साम्राज्यवादी हमलावर देशों ने मानवता विरोधी कैसे कैसे जन-विनाश के हथियार बना डाले हैं, जो विश्व शांति के लिए खतरा हैं।
उन्होंने कहा कि, हमें इजराइली आतंकवाद के खिलाफ खड़े हो कर मानवता और विश्व शांति के पक्ष में फिलिस्तीन की जनता के साथ एकजुटता दिखानी चाहिए। मोदी सरकार और भाजपा मानवता के विरोध में खड़ी हो इजराइली आतंक का विरोध करने की जगह इसका इस्तेमाल भारत के मुसलमानों के खिलाफ दुष्प्रचार करने में कर रही है। तमाम तरह के झूठ व अफवाहें सोशल मीडिया और गोदी मीडिया में चलाए जा रहे हैं। हमें ऐसे प्रचार से बचना चाहिए।
ये मांगें उठाई
- मोदी सरकार इजराइल का समर्थन करना बंद करे।
- गाज़ा और लेबनान में तत्काल युद्ध रुके और इजराइल नरसंहार बंद करे।
- इजराइल को हथियार सप्लाई करने वाले देश ऐसा करना बंद करें।
- गाज़ा से इजराइली सेनाएं तत्काल हटें, और कब्जा की गई जमीन वापस हो, ताकि गाज़ा की विस्थापित आबादी पुनः वहां लौट सके।
- गाज़ा में विश्व समुदाय राहत सामग्री और पुनर्निर्माण के कार्यों में सहायता दे।
- वेस्ट बैंक से भी इजराइली कब्जावर सेनाएं वापस हों।
प्रदर्शन में भाकपा माले के राजा बहुगुणा, ऐक्टू से के. के. बोरा, अंबेडकर मिशन के जी आर टम्टा, माले जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय, मूल निवासी संगठन के सुंदर लाल बौद्ध, क्रालोस के मुकेश भंडारी, आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की सायमा सिद्दकी, एडवोकेट राजेंद्र सिंह कुटियाल, एम एस मलिक, प्रकाश, अमित कोहली, शंकर लाल, देवेन्द्र कुमार आदि