हल्द्वानी । उत्तराखंड सांस्कृतिक समिति द्वारा आयोजित भेटघाट सांस्कृतिक परिचर्चा का चतुर्थ संस्करण एफटीआई प्रेक्षागृह हल्द्वानी में संपन्न हुआ । इसमें उत्तराखंड के कई जाने माने कलाकारों ने भागीदारी की। इस मौके पर उत्तराखंड की लोक संस्कृति एवं सांस्कृतिक विषयों पर परिचर्चा शामिल होती है।
विपुप्त होती उत्तराखंडी लोक परंपराओं और लोक विधाओं संजोए रखने के इस प्रयास का आरम्भ शगुन आँखर (मांगल गीत) के साथ हुआ जिसे हेमा हरबोला , लता कुंजवाल एवं मीनू जोशी जैसे ऑल इंडिया रेडियो से जुड़े वरिष्ठ कलाकारों ने प्रस्तुत किया
शगुन आँखर हर शुभ कार्य के आरम्भ से समाप्ति तक महिलाओं द्वारा गाये जाते हैं जिसमें देवताओं को आमंत्रित करने से लेकर बधाई एवं आशीर्वाद गीत गायन सम्मिलित है।
इस के बाद विलुप्त हो रहे उत्तराखंड के लोक वाद्यों का प्रस्तुतीकरण एवं उन पर परिचर्चा हुई सभी वाद्यों के जानकार रणजीत सिंह एवं लवराज आर्य द्वारा दो डोंण डांगर प्रस्तुतिकरण किया गया एवं इन विषयों पर परिचर्चा हुई ।
वीणाई में युवा फ़नकार भास्कर भौर्याल की प्रस्तुति एवं जौंल्या मुरली में प्रसिद्ध बांसुरी वादक मोहन जोशी द्वारा प्रस्तुतिकरण किया गया ।
तृतीय प्रस्तुति के रूप में उत्तराखंड की लोक कथाओं एवं लोकोक्तियों (आण काथ, ऐन काथ) पर उत्तराखंड के इंसाइक्लोपीडिया माने जाने वाले प्रसिद्ध पत्रकार एवं संस्कृति कर्मी चारू तिवारी एवं कुमाउनी कवि नारायण सिंह बिष्ट (नरेण दा)के द्वारा प्रस्तुतीकरण किया गया और उपस्थित लोगों के साथ संवाद और वार्तालाप हुआ ।
इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के वरिष्ठ कलाकार, संस्कृति कर्मी, रंगकर्मी, लोकविधाओं के जानकार एवं सभी संस्कृति प्रेमियों ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित की।