नैनी झील में विलुप्त हो चुकी साइजोथोरेक्स रिचर्डसोनाई स्नोट्रॉउट को पुन जीवित करने का प्रयास

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नैनीताल (सुमन) l नैनी झील मे वर्ष 2000 मे विलुप्त हो चुकी मछली साइजोथोरेक्स (रिचर्ड सोनाई) स्नोट्रॉक को झील में पुनः स्थापित किया जायेगा। डीएसबी परिसर नैनीताल मे कुलपति कुमाऊं विश्वविद्यालय प्रो. डीएस रावत के निर्देशानुशार जंतु विज्ञान विभाग डीएसबी परिसर नैनीताल में बायोफ्लाक मत्स्य टेक्नोलॉजी को अपनाकर मत्स्य उत्पादन किया जा रहा है l जिसमें विभाग के शोध और स्नाकोत्तर के छात्रों को टेक्नोलॉजी से मत्स्य उत्पादन सीखने का मौका मिल रहा है l


बायोफ्लाक फिश टेक्नोलॉजी से नैनीताल झील मे लुप्त प्रजाति प्रायः साइजो थोरेक्स (रिचर्डसोनाई) स्नोट्रॉकन मछलियों का उत्पादन कर झील मे पुनः स्थापित करने के लिए जंतु विज्ञान विभाग मे बायोफ्लाक फिश टेक्नोलॉजी की तकनिक को अपनाकर इन मछलियों को नैनीताल झील मे संरक्षित किया जाना विभाग का उद्देश्य है l जिस प्रकार महाशीर ( टोरपुटीटेरा) इस झील से सन् 2000 से पहले विलुप्त हो गयी थी, जिनको 2003 के बाद झील में श्रृंखलित किया गया था, जिनकी संख्या आज काफी अच्छी है l जो झील के जल की गुणवत्ता का धोतक है , गोल्डन महाशीर प्रजाति का विकास पर्यटक के लिए कोतूहल का विषय बना रहता है l ग्लोडन महाशीर को पुनः स्थापित करने के लिए मत्स्य महाविद्यालय विभाग भीमताल, निर्देशालय शीत जल मात्स्यकीय विभाग भीमताल तथा मत्स्य महाविद्यालय गोविंद वल्लभ कृषि एवम प्रोधोगिकी पंत नगर के सहयोग से हो पाया है l जंतु विज्ञान के विभागा अध्यक्ष प्रो. एचसीएस बिष्ट ने बताया की बायोफ्लाक फिश टेक्नोलॉजी से परिसर के टैंक मे लगभग 50 किलोग्राम मछलियों का उत्पादन किया जा रहा है l प्रत्येक 15 दिन मे इनकी वृद्धि जांच की जाती है l इनके साइज में 25 से 50 ग्राम की वृद्धि होने के बाद इन्हें झील में संरक्षित किया जायेगा l इन मछलियों को एक साथ नहीं बल्कि 100 या 200 की संख्या कर झील में श्रृंखलित कर झील के अस्तित्व को पुनः स्थापित किये जाने का प्रयास किया जायेगा l

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