अखिल भारतीय किसान महासभा का ऐलान: बागजाला गांव में 18 अगस्त से शुरु हो जाएगा अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन

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हल्द्वानी। अखिल भारतीय किसान महासभा बागजाला की बैठक गांव में एक निजी आवास के प्रांगण में संपन्न हुई, बैठक में आगे के आंदोलन की रणनीति पर विचार विमर्श किया गया। तय किया गया कि बागजाला गांव में 18 अगस्त से अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया जाएगा, धरने के बाद भी यदि समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो इसी क्रम में क्रमिक अनशन और तत्पश्चात आमरण अनशन की ओर बढ़ा जायेगा।
अखिल भारतीय किसान महासभा के नेतृत्व में बागजाला गांव की जनता की पेयजल, सड़क, विकास कार्यों और निर्माण कार्यों पर लगी रोक हटाने, जल जीवन मिशन योजना को शुरू करने, मालिकाना अधिकार देने, पंचायत प्रतिनिधि चुनने के अधिकार को बहाल करने जैसी मूलभूत नागरिक सुविधाओं की मांग को लेकर पिछले वर्ष नवंबर माह से संघर्षरत है लेकिन राज्य की भाजपा सरकार की घोर उपेक्षा और उदासीनता बनी हुई है इसलिए अनिश्चितकालीन आंदोलन का विकल्प ही जनता के सामने बचा है।

बैठक को संबोधित करते हुए किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनन्द सिंह नेगी ने कहा कि, लंबे समय से बागजाला वासी अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं लेकिन भाजपा सरकार बागजाला समेत राज्य के तमाम क्षेत्रों में गरीबों के आवास उजाड़ने पर आमादा है। इसलिए धामी सरकार की गरीब उजाड़ो- बुलडोजर चलाओ नीति के खिलाफ मालिकाना अधिकार के लिए जिले के सभी गरीबों- भूमिहीनों को एक मंच पर आकर संघर्ष करना वक्त की मांग है। इसके लिए किसान महासभा सभी उत्पीड़ित जनता को एक मंच पर लाने का पुरजोर प्रयास करेगी।

अखिल भारतीय किसान महासभा बागजाला की अध्यक्ष उर्मिला रैस्वाल ने कहा कि, यह सरकार गरीब जनता को उजाड़ने की धमकी देकर डराकर रखना चाहती है, इसका जवाब जनता की एकता और आंदोलन है। जितना जनता एकजुट होकर अपने अधिकार के लिए लड़ेगी उतना ही सरकार पीछे हटेगी।

किसान महासभा बागजाला सचिव वेद प्रकाश ने कहा कि, बागजाला के नजदीक स्टेडियम, चिड़ियाघर बनने और बस अड्डा, हाईकोर्ट आने की चर्चा के बाद इन बड़े प्रोजेक्ट के पास स्थित बागजाला की बेशकीमती जमीन पर बड़े पूंजीपतियों की नजरें गड़ी हुई हैं। अन्यथा दशकों से बसे हुए गरीबों, किसानों को मालिकाना अधिकार देने के बजाय भाजपा सरकार उसके विपरीत व्यवहार क्यों कर रही है?

किसान महासभा नेता हरजत्ता सिंह ने कहा कि, बागजाला की जनता अपनी संविधान सम्मत मांगो के लिए लड़ रही है। गरीबी की हालात में जिन जमीनों पर दशकों पूर्व से लोग बस चुके हैं उन जमीनों को पक्का करके लोगों को मालिकाना दिया जाए यही न्याय का तकाजा है।

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