ट्रेडिंग के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वालों को कानपुर से दबोचा, फेक एप डाउनलोड कराकर 1.38 करोड़ रुपये ठगे

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रुद्रपुर। स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) कुमाऊं ने ट्रेडिंग के नाम पर लोगों से धोखाधड़ी करने वाले दो आरोपितों को कानपुर से गिरफ्तार किया है। अब तक दोनों ने केरल, बंगाल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों से कई घटनाओं को अंजाम दिया है। उन पर 34 मामले पंजीकृत हैं। आरोपितों के पास से सिम, आधार कार्ड, बैंक पासबुक, मोबाइल, पैन कार्ड बरामद किया गया है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि अल्मोड़ा निवासी व्यक्ति ने अगस्त 2024 में शिकायत दर्ज कराई थी। उसने बताया था कि वाट्सएप पर अज्ञात नंबर से काल और मैसेज आया। चैंटिग करने पर आरोपित ने खुद को एचडीएफसी सिक्योरिटीज का प्रतिनिधि बताया। एक वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने को कहा और एचडीएफसी वीआइपी एप्लीकेशन डाउनलोड कर निवेश करने के लिए कहा। जिस पर उसने ट्रेडिंग करने के लिये विभिन्न माध्यम से करीब 1.36 करोड़ रुपये जमा कराए। साइबर अपराधियों ने आइपीओ में अधिक मुनाफा कमाने का लालच दिया।

निवेश करने पर कुछ ही दिनों मे एप्लीकेशन के डैशबोर्ड पर लाभ सहित लगभग आठ करोड़ रुपये प्रदर्शित होने लगे। जब उसे पता चला कि यह फर्जी एप है तो शिकायत दर्ज कराई। पुलिस टीम ने घटना में प्रयुक्त बैंक खातों, मोबाइल नंबरों तथा वाट्सएप की जानकारी के लिए संबंधित बैंकों, सर्विस प्रदाता कंपनी, तथा मेटा एवं गूगल से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया।

जानकारी में आया कि आरोपितों ने धोखाधड़ी से वसूली धनराशि को बैंक खातों में स्थानांतरित कर दिया था। जिसमें 48.5 लाख रुपये सेंगर टेलीकाम नाम से बनाई गई फर्म के चालू खाते में भेजी है। यह भी पता चला आरोपितों ने बैंक खातों में फर्जी आइडी से लिए गए मोबाइल नंबरों का प्रयोग एसएमएस अलर्ट के लिए किया था। जिस पर पुलिस टीम ने मास्टरमांइड सेंगर श्रीनगर पहाड़पुर, चौधकपुर गल्ला मंडी, कानपुर निवासी अभिनव राज सिंह सेंगर और अपार्टमेंट नंबर 360 बाबा नगर नौबस्ता थाना हनुमंत नगर कमिश्नरी कानपुर निवासी मुकेश यादव को कानपुर से गिरफ्तार कर लिया।

अपराध का तरीका

आरोपित वाट्सएप पर काल, मैसेज के माध्यम से ग्राहक को शेयर बाजार में निवेश, आइपीओ की जानकारी देकर तथा लिंक के माध्यम से वाट्सएप ग्रुप में जोड़ते थे। फिर आनलाइन ट्रेडिंग करने व मोबाइल फोन में एचडीएफसी सिक्योरिटीज का फर्जी एप डाउनलोड कराते थे। नए शेयर के जारी होने वाले आइपीओ में लाभ कमाने का झांसा देकर निवेश के नाम पर करोड़ों की धोखाधड़ी को अंजाम देते थे

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